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छठ पूजा 2023(Chhath Puja 2023): सूर्य देव के आदर्श अवतार का महत्वपूर्ण उपासना

भारतीय संस्कृति में विभिन्न पूजाओं और त्योहारों का बहुत महत्व है, और छठ पूजा एक ऐसा ही अहम त्योहार है जो भारत के पूर्वी क्षेत्रों, खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल में मनाया जाता है। यह पूजा सूर्य देव के आदर्श अवतार की भक्ति के रूप में मनाई जाती है और विशेष रूप से बिहार के लोगों के लिए यह एक बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। इस लेख में, हम जानेंगे कि छठ पूजा 2023 को कैसे मनाया जा सकता है और इसके महत्व के बारे में।

छठ पूजा कब है? (Chhath Puja kab hai)?

दोस्तों इस वर्ष बिहार में Chhath Puja 17 नवंबर से शुरू होगी और इसका समापन 20 नवंबर 2023 के दिन होगा। बिहारियो के लिए Chhath एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है और हर वर्ष इसे बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पूजा मूल्य रूप से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के छँटवे दिन की जाती है। Chhath Puja के समय सूर्य भगवान और उनकी बीवी की पूजा की जाती है।

छठ पूजा (Chhath Puja) का महत्व

छठ पूजा भारतीय समाज में सूर्य देव की पूजा का महत्वपूर्ण त्योहार है, जो सफलता, स्वास्थ्य, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। इसे छठी माता के रूप में भी जाना जाता है, और यह उनकी आराधना का एक महत्वपूर्ण उपासना है। छठ पूजा का आयोजन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय किया जाता है, और इसका महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि यह पूजा मां छठी माता के लिए किया जाता है, जो सूर्य की पत्नी मानी जाती हैं।

Chhath Puja 2023 ( छठ पूजा 2023)

महापर्व छठ हिंदुओं में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह  Puja चार दिनों तक मनायी जाती है। इसकी शुरुवात नहाय खाय से होती है और सप्तमी के दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद व्रत को खोला जाता है। Chhath Puja बिहार के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे महापर्व Chhath के रूप में भी जाना जाता है। यह Puja अब पूरे देश में धूम धाम से मनायी जाती है।

 

पूजा के दौरान भगवान सूर्य तथा उनकी पत्नी उषा की पूजा की जाती है। उषा माता को ही छठी मैया के नाम से जाना जाता है। महापर्व Chhath के दौरान चार दिनों तक उत्सव मनाया जाता है। Chhath का व्रत सबसे कठीन व्रतों में से एक माना जाता है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, छठ छठी और छठ पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष छठ पूजा की तिथि 19 नवंबर को पड़ रही है।

छठ पूजा की कहानी (Chhath Puja ki Kahani)

एक समय की बात है जब भगवान सूर्य चंद्रमा की पत्नी सन्यानी थीं और उनकी दो सुन्दर कन्याएं थीं जिनके नाम थे उषा और प्रत्युषा। यह दोनों कन्याएँ बहुत ही सुन्दर तथा भक्तिभाव से भरी हुई थीं। एक दिन उषा और प्रत्युषा ने भगवान सूर्य की अत्यंत भक्तिभाव से पूजा करने का निर्णय किया। वह दोनों अनुष्ठान में लग गईं और व्रती बन गईं। दोनों ने बहुत  ही श्रद्धाभाव से चार दिनों तक उपवास किया और सूर्य देव की पूजा करती रहीं।

पूजा के बाद वह गंगा घाट पर गईं और वहां भी अपनी पूजा जारी रखी। सूर्यास्त के समय उषा और प्रत्युषा ने अपने समर्पण भाव से सूर्य देवता की आराधना की,भगवान सूर्य इन दोनों की भक्ति को देख कर अत्यंत प्रसन्न हुए और  स्वयं प्रकट हो कर दोनों को आशीर्वाद दिया।

इस घटना के बाद छठ पूजा का आयोजन हर साल उषा और प्रत्युषा के भक्तों द्वारा किया जाने लगा, जिससे यह त्योहार लोकप्रिय बन गया। छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा और अपनी आराधना के माध्यम से भक्त इस व्रत से सूर्य देवता की कृपा को प्राप्त करते हैं।

Chhath Puja Songs 

छठ पूजा के गीतों में बहुत ही ऊँचा भाव होता है और यह सूर्य देवता की पूजा-अर्चना के लिए उत्साह से भरे होते हैं। कुछ लोकप्रिय छठ पूजा Songs निम्नलिखित हैं:

  1. देवरा करेला केवल ना कहीन – अनुराधा पौडवाल
  2. छठी मईया के आयील बहार – धर्मेन्द्र निराला
  3. उग हे सूरज देव – दीपक धाकड़
  4. छठी मईया हमार – शारदा सिन्हा
  5. केकरा से छठी मईया – पवन सिंह

यह गीत सूर्य देवता की महिमा और छठ पूजा के अद्भुत माहौल को बयान करते है।

बिहार में छठ पूजा (Chhath Puja) क्यों मनाया जाता है?

छठ पूजा बिहार का महत्वपूर्ण पर्व है और इसे सूर्य देवता की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह परंपरागत हिन्दू त्योहार है जिस में सूर्यउदय और सूर्यास्त के बाद की सुप्रभात दृष्टि को महत्वपूर्णता दी जाती है। छठ पूजा के दौरान व्रती लोग सूर्योदय और सूर्यास्त के समय विशेष पूजा-अर्चना करते हैं तथा चावल, दूध, फल और गुड़ का प्रसाद चढ़ाते हैं। Also read छठ पूजा घाटों की list Patna

छठ पूजा सामग्री सूची (Chhath Puja ka Samagri List)

  1. पांच गन्ने जिसमें पत्ते लगे हों,
  2.  पानी वाला नारियल, 
  3. अक्षत, 
  4. पीला सिंदूर, 
  5. दीपक, 
  6. घी, 
  7. बाती, 
  8. कुमकुम, 
  9. चंदन, 
  10. धूपबत्ती, 
  11. कपूर, 
  12. दीपक, 
  13. अगरबत्ती, 
  14. माचिस,
  15. फूल, 
  16. हरे पान के पत्ते, 
  17. साबुत सुपाड़ी,
  18. शहद का भी इंतजाम कर लें अलावा हल्दी, 
  19. मूली अदरक का हरा पौधा,
  20. बड़ा वाला मीठा नींबू,
  21. शरीफा,
  22. केला नाशपाती कैराव,
  23. कपूर,

 

छठ पूजा करने की विधि (Chhath Puja Krne ki Vidhi)

छठ पूजा को सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित विधियाँ होती हैं:

  • नहाकर: पहले दिन, पूजा करने वाले व्यक्ति को सुबह नहाना होता है। यह पवित्रता का प्रतीक होता है और साफ दिल से छठ पूजा की शुरुआत करता है।
  • व्रत: पूजा के दिनों में, व्रती व्यक्ति को एक साथ कई दिनों तक उपवास करना होता है।
  • खरना प्रसाद: छठ पूजा के दौरान, व्रती व्यक्ति को खरना प्रसाद बनाना होता है, जिसमें गुड़, चावल, दूध, दूध की मिठास, और फल शामिल होते हैं। इस प्रसाद को सूर्य देव के समक्ष अर्पण किया जाता है।
  • संध्याकाल की ऊपासना: इसी तरह, सूर्यास्त के समय भी सूर्य देव का पूजन किया जाता है। यह पूजा खास ध्यान और भक्ति से की जाती है।
  • प्रातःकाल की ऊपासना: छठ पूजा के दूसरे दिन, सूर्योदय के समय व्रती व्यक्ति को सूर्य देव का पूजन करना होता है। यह उनके द्वारकों का दर्शन करने का समय होता है।
  • छठ व्रत का पूरा कार्यक्रम: छठ पूजा के दिन व्रती व्यक्ति को पूरा दिन उपवास करना होता है और सूर्यास्त के बाद ही उपवास तोड़ सकते हैं।

छठ पूजा के पहले दिन क्या किया जाता है? ( Chhath Puja ke phle din kya kiya jata hai)

छठ पूजा के पहले दिन, जिसे नहाय खाय कहा जाता है, व्रती व्यक्ति को सुबह नहाना होता है। इसके बाद, वे व्रत रखकर गंगा या यमुना नदी के किनारे जाते हैं और तम्बू (पंडाल) लगाते हैं, जिसे छठ घर कहा जाता है। उन्हें विशेष ध्यान देना होता है कि वे सभी नियमों का पालन करें और व्रत को सही तरीके से आरम्भ करें।

छठ पूजा में कितने फल लगते हैं? (Chhath Puja me kitne fal lagte hai)

छठ पूजा में चार प्रकार के फल लगते हैं, जिन्हें खरना कहा जाता है – केला, खरबूजा, सेब, और नारियल। ये फल सूर्य देव की पत्नी छठी माता की प्रार्थना का हिस्सा होते हैं और पूजा के दौरान उपयोग किए जाते हैं।

छठ पूजा में क्या क्या नहीं खाया जाता है? (Chhath Puja me kya nahi khana chahiye)

  • छठ पूजा के दौरान, व्रती व्यक्ति को खुद को कई व्यक्तिगत प्रतिबंधों का पालन करना होता है। उन्हें इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • नमक और मिर्च: व्रती व्यक्ति को नमक और मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • गाय का दूध: छठ पूजा के दिन गाय का दूध नहीं पीना चाहिए।
  • मांस और मांसाहारी आहार: व्रती व्यक्ति को छठ पूजा के दिन मांस और मांसाहारी आहार नहीं खाना चाहिए।
  • लस्सी और दही: दिनभर व्रत करने के बाद, व्रती व्यक्ति को लस्सी और दही नहीं खाना चाहिए।

खरना प्रसाद क्या है? (Kharna Prasad kya hai)

खरना प्रसाद छठ पूजा के दौरान तैयार किया जाता है और यह सूर्य देव को अर्पण किया जाता है। इसमें गुड़, चावल, दूध, दूध की मिठास, और फल शामिल होते हैं। खरना प्रसाद खासतर सूर्य देव की पत्नी छठी माता के लिए तैयार किया जाता है और इसे उनकी कृपा के रूप में माना जाता है।

छठ पूजा कितने घंटे का होता है? (Chhath Puja Kitne Ghante ka hota hai)

छठ पूजा का पूरा कार्यक्रम कई दिन तक चलता है, लेकिन प्रमुख खरना पूजा के दिन दो पार्व होते हैं – सूर्योदय और सूर्यास्त के समय। सूर्योदय के समय, व्रती व्यक्ति को सूर्य देव की पूजा करनी होती है, जबकि सूर्यास्त के समय पूजा का अंत होता है।

छठ पूजा का नहाकर कब है? (Chhath Puja Nahakr Kab hai)

छठ पूजा का नहाकर छठ पूजा के पहले दिन होता है, जिसे नहाय खाय कहा जाता है। इस दिन व्रती व्यक्ति को सुबह नहाना होता है, और इसके बाद पूजा की तैयारी करनी होती है।

छठ पूजा का शुभ मुहूर्त कब है? (Chhath Puja subh Muhurat)

छठ पूजा का शुभ मुहूर्त वर्षांत में बदलता रहता है, लेकिन यह अक्टूबर और नवंबर के बीच होता है। छठ पूजा के दिन सूर्योदय के समय पूजा की जाती है, इसलिए यह समय भी महत्वपूर्ण होता है। लोग स्वास्थ्य और बीमारियों के आधार पर छठ पूजा के शुभ मुहूर्त का चयन करते हैं।

छठ पूजा करने से क्या लाभ होता है? (Chhath puja krne ka labh)

छठ पूजा का आयोजन करने से व्रती व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं। यह पूजा सूर्य देव के आदर्श अवतार की भक्ति करने का अवसर प्रदान करती है और व्यक्ति को उनके कार्यों की सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्रदान करती है। इसके अलावा, छठ पूजा मन, शरीर, और आत्मा की पवित्रता को बढ़ावा देती है और व्यक्ति को स्वास्थ्य और ताजगी का अहसास कराती है।

छठ में क्या खाना चाहिए? (Chhath me kya khana chahiye)

छठ पूजा के दिन व्रती व्यक्ति को विशेष ध्यान देना चाहिए कि वे खाना प्रसाद के अलावा कुछ भी नहीं खाते हैं। खरना प्रसाद में गुड़, चावल, दूध, दूध की मिठास, और फल शामिल होते हैं और यह सूर्य देव की पत्नी छठी माता को अर्पण किया जाता है।

छठ माता किसकी पत्नी है? (Chhath mata ki patni)

छठ माता का पूरा नाम उषा है, और वे सूर्य देव की पत्नी मानी जाती हैं। छठ पूजा में छठ माता की भक्ति और पूजन किया जाता है, और वे सूर्य देव के साथ खुद को प्रसन्न करने की आदर्श आकारिकता हैं।

क्या हम छठ पूजा में काला पहन सकते हैं? 

छठ पूजा में काला रंग के वस्त्र पहनना सामान्य होता है। काला रंग सूर्य के प्रतीक के रूप में माना जाता है और इससे सूर्य देव की भक्ति का प्रतीक मिलता है। लोग छठ पूजा के दिन काले रंग के वस्त्र पहनकर सूर्य देव की आराधना करते हैं।

पूजा में क्या क्या लगता है? (Chhath puja me kya lagta hai)

छठ पूजा में कई प्रकार की चीजें लगती हैं, जैसे कि:

  • छठी घाट: छठ पूजा के दिन व्रती व्यक्ति को गंगा या यमुना किनारे पर छठी घाट बनाना होता है, जहां पूजा की जाती है।
  • खरना प्रसाद: खरना प्रसाद के रूप में गुड़, चावल, दूध, दूध की मिठास, और फल लगते हैं।
  • दीपक: पूजा के दौरान दीपक जलाना महत्वपूर्ण होता है और यह सूर्य देव की प्रार्थना का हिस्सा होता है।
  • पूजा के आवश्यक सामग्री: पूजा के लिए चादर, व्रत के फल, और पूजन के समय आवश्यक वस्त्र शामिल होते हैं।

छठ पूजा के लिए किस पौधे का उपयोग किया जाता है? (Chhath Puja ke liye paudha)

छठ पूजा के दौरान, व्रती व्यक्ति पीपल और बरगद के पेड़ की पत्तियों का उपयोग करते हैं। ये पत्तियाँ पूजा के दौरान आवश्यक होती हैं और सूर्य देव की पूजन में उपयोग की जाती हैं। इस तरह, छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो सूर्य देव की पूजा के रूप में मनाया जाता है और सौभाग्य, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्रदान करता है। यह एक ऐसा त्योहार है जिसमें भक्ति, ध्यान, और सांगीत का महत्वपूर्ण स्थान है, और यह बिहार के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है।

Chhath Puja मनाने के प्रमुख कारण।

छठ पूजा एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार है जो विशेष तौर पर बिहार राज्य में महत्वपूर्ण है। इसे सूर्य पूजा का त्योहार भी कहा जाता है क्योंकि इस में सूर्य देवता की पूजा की जाती है।

Chhath Puja मनाये जाने के प्रमुख कारण है:

  1. सूर्य देवता की पूजा

छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता की पूजा करना है जिसे हिन्दू धर्म में जीवन का स्रोत माना जाता है।

  1. आध्यात्मिक महत्व 

छठ पूजा आध्यात्मिक महत्वपूर्णता से भी युक्त है। यह पूजा भक्तों को अपनी आत्मा को शुद्धि और सकारात्मकता की दिशा में अग्रसर करने का अवसर देती है।

  1. प्राकृतिक आपदाओं का सामना

छठ पूजा का आयोजन अक्सर कोई प्राकृतिक आपदा जैसे कि सूखा या बाढ़ से मुकाबले के रूप में किया जाता है ताकि इस रूप में लोगों को सहारा मिले और उनका आत्मविश्वास बना रहे।

  1. सामाजिक एकता 

छठ पूजा सामूहिक भावनाओं को मजबूत करने का भी एक महत्वपूर्ण पर्व  है क्योंकि इसमें परिवारों और समुदायों की सामूहिकता को बढ़ावा मिलता है।

निष्कर्ष।

बिहारियो के लिए Chhath Puja एक बहुत बड़े त्योहार के रूप में मनायी जाती है। बिहार से चली ये पूजा आज पूरे देश में देखने को मिलती है। हर वर्ष छठ पूजा बड़े ही धूम धाम से मनायी जाती है। भोर में भी औरते पूजा की सामग्री ले जाते हुए नज़र आतीं है। यदि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो तो Like ज़रूर करे।

 

By Admin

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